Tuesday, July 3, 2012

अमीर ज़िंदगी


बचपन में बड़े बताया करते थे :- “ इंसान जो भी करता है पेट की आग को शांत करने की खातिर करता है | इस आग की वजह से ही लोग हर अच्छे और बुरे कर्म करते हैं|”
कॉलेज लाइफ में प्रोफेसर ने बताया :-“मानव जीवन की तीन मूलभूत जरूरतें हैं – भूख, प्यास और सेक्स | इन्हीं को पूरा करने के लिए वो सारे कर्म करता है |”

अब जब दुनिया को समझने की कोशिश करती हूँ तो ऐसा लगता है कि ये सारी सिर्फ किताबी बातें है | यदि सिर्फ इन जरूरतों को पूरा करने से मानव जीवन पूर्ण हो जाता तो फिर अमीर लोगों कि दुनिया में इतने क्राइम होते ही नहीं | मैंने पाया कि जब ये सारी जरूरतें जब पूरी हो जाती है, तो इस आबादी के अंदर एक और आग जग जाती है – मन कि आग / भूख | और फिर इस आग को बुझाने के क्रम में इच्छाओं कि ज्वालामुखी जन्म लेती चली जाती हैं, जो कभी खत्म होने का नाम ही नहीं लेती है | लोग ये नहीं देखते कि उनके पास क्या है , बल्कि ये सोच कर जीवन जीने लगते हैं कि दूसरों के पास क्या है | उनकी ज़िंदगी, एक ज़िंदगी नहीं प्रतियोगिता बन कर रह जाती है , सिर्फ एक प्रतियोगिता......... जिसमे पाने के लिए कुछ नहीं होता है ..................क्यूंकि जीतने पर सिर्फ तन्हाई मिलती है..................||

Thursday, June 28, 2012

रिश्ते


रिश्ते – क्या होते हैं ये रिश्ते ? क्या होती है इनकी परिभाषा ?
क्या कोई बतलायेगा मुझे इन रिश्तों कि आधारशिला ?
हमने तो देखा है, बस इनमे छुपी हुई अभिलाषा ||

ज़िंदगी की शुरूवात होती है कुछ रिश्तों के साथ ,जो शुरू होते ही हैं, कुछ शर्तों के साथ |
इस सफर कि डगर पर मिलते हैं कुछ लोग..... जुड जाता है उनसे इक रिश्ता |
पर आता है वो ले कर साथ में इक नाम, और बही-खाता ||

रिश्ते अब बनते नहीं, बनाये जाते हैं, और बाद में रस्मों के नाम पर निभाए जाते हैं |
इन रिश्तों में भी एक अजीब सी होड़ है, हर पल खुद को सच्चा साबित करने कि दौड़ है ||

आज इस भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी में रिश्ते रह गए हैं – बस इक नाम |
हर इक नाम के साथ शुरू होती है, एक सीमा रेखा और कुछ मर्यादा |
क्यूँ बाँधना होता है हर रिश्तों को एक नाम से ?

Saturday, July 30, 2011

LOVE and MARRIAGE

"LOVE-MARRIAGE" A Confusing word.

I think every marriage is ARRANGED marriage sometimes arranged by parents and sometimes by partners , but each and every time it is arranged only. Because marriage is just a way to be HUSBAND and WIFE.

It is the medium to have a relationship called " husband-wife / or married couple .Just like to be a parent a person should have a child. similar with the marriage- the way/medium so that u can give a name to your relationship.

But i did not understand that how there can be love-marriage because  "Love "  is the emotion/ feelings a person has for another one and it is present in every relationship. and also is it like if somebody love someone and they married to different people and because of that love has GONE...???????..... no I do not think so... Truly said that Love is unconditional.

How any body can convert the love in a relationship called marriage. Love can not be converted or given some name it is always there whether it is before the marriage or after the marriage. Many time there is no love in a marriage. I can agree that there can be care for each other. Also Love is something that has no definition. Can we define " what is love"????? Perhaps no but surely we can define and have definition for marriage. Now just give it a thought that how we say that an undefined and defined things are same?????????

I also agree that love and marriage have a link between them because in general when two person love each other, they want to be with each other forever and being married is the easiest way to be together . That is why lovers want to be married. But generally I have seen that after marriage also they remain lovers forever.........................

Also now a day's for many people love is sex and having sex is love. But in my point of view when two person fall in love with each other at that time sex is not there. When time passes ..... and they are in contact with each other for a longer time period they start noticing each others' physical appearance and here comes the sexual attraction . So when love come to a stage where it is having a link with sex most of the time marriage take place and those two person become together for forever.................. LOVE ...........LOVE............LOVE .....forever....!!!!!!!!

Thursday, January 13, 2011

SWAPNIL ZINDAGI..................

सुबह ऑंखें खुली , तेरा चेहरा नज़र आया |
चाय की प्याली के साथ , तेरी मुस्कराहट महसूस हुई|
पूरा दिन कामों में बिता , पर हर वक़्त तेरी यादें साथ रही|
शाम दोस्तों के साथ गुजर गई , पर तेरे अल्हड़पन में दिल खोया रहा |
रात हो गई , आँखें नींद से बोझिल होने लगी |
सपनों कि दुनिया , बाहें फैला कर बुलाने लगी |
पर वहां भी तेरी मौजूदगी का एहसास ,
पलकों तले चाँद की चांदनी की तरह मेरे साथ रहा  ||

Monday, January 10, 2011

vishwas

जाने कैसा है ये वक़्त ...........
पथ प्रदर्शक साथ छोड़ गए , वादे करने वाले वादे तोड़ गए ,
मलहम लगाने वाले जख्म दे गए ,प्यार करने वाले नफरत करने लगे ,
उससे भी कहीं ज्यादा - दोस्त दुश्मन लगने लगे ||

रात की तन्हाइयों में , याद आता है वो वक़्त --
जब पास रहने वाले हर कोई होते थे हमारे ,
वो चले गए छोड़ मुझे , परायों के सहारे ;
फिर भी हम न हारेंगे  , जीतेंगे जंग उनके यादों के सहारे ||

ये वक़्त , वो वक़्त , जो भी हो आएगा वो वक़्त भी कभी  , क्यूंकि -
एक आस अभी भी जिन्दा है दिल में , याद आएगी उन्हें एक दिन हमारी ;
जब होंगे हम अपनी मंजिलों पर , दुनिया देखेगी मुहब्बत हमारी ;
मुहब्बत हमारी ......मुहब्बत हमारी..... इंतजार मुझे उस वक़्त का...||

Saturday, January 8, 2011

WAQT, DARD and DOST

वक़्त की मार पड़ी  है मुझ पर  , जख्म की बात किसे मैं बताऊँ
वो तो खुद ही हैं , गम में डूबे  , अपने गम मैं किसे बताऊँ ,किसे बताऊँ.......
वक़्त , वक़्त , वक़्त ......
ए दोस्त , कैसे बताऊँ तुझे ,  कि कितना गहरा है ये जख्म  ....
तुम तो खुद ही हो जख्मी , मुझे मलहम लगाओगे कैसे .....
ये वक़्त , वक़त , वक़्त , वक़्त.....
उठाना होगा हमें खुद ही से , उठाने वाला खुद ही गिरा हुआ है
साथ निभाएगा कौन हमारा  वादे करने वाला ही दूर, बैठा है अनजान सा ,
 सब वक़्त की बात है ...वक़्त , वक़्त वक़्त...

Wednesday, January 5, 2011

DO AANKHEN

दुनिया के चाल फरेब से अनजानी
निष्कपट , निश्छल  , निर्मोही , अधखुली
दो आँखें , तुझे हर क्षण
प्रतिपल अवलोकित कर रही थी|
वो दो आँखें बन सकती थी  -
किसी वैज्ञानिक की आँखें ,
वो बन सकती थी  - 
किसी सैनिक , किसी खिलाड़ी की आँखें
वो कुछ भी बनने को  उतावली थी | 
पर तुझे तो पता नहीं होगा न  ;
तुने उसे क्या बना डाला 
तो सुन -------
 तुने उसे दुनियादारी सिखाने के बहाने 
 ज़िन्दगी जीने के नुस्खे बताने के बहाने
सिखाई यही फरेबी दुनियादारी
तो क्या वो बन पाई
तुम्हारे सपनों सदृश - 
एक चतुर , मक्कार , कपटी आदमी की आँखें
नहीं न
वो बन भी नहीं सकती थी  क्यूंकि -
उसे तो बनना था - एक वास्तविक इंसान की आँखें
पर वो बन के रह गई -
केवल एक आसक्त व्यक्ति की आँखें
जो देख सब सकती हैं  पर
न बोल सकती हैं , न कुछ कर सकती हैं |

About Me

BHAGALPUR / Ranchi, Bihar / Jharkhand, India
Presently a student. just trying to put up my thoughts/ sharing my thoughts to u people through this blog